आप किस तरह के गरीब है? येह सवाल थोडा विचित्र जरुर है परन्तु सोचने पर मजबूर करता है. जी हा, यह सच है, हमारे लिये यह जानना बहूत जरुरी है की हम वाक्य में गरीब क्यों है? और जब तक हमे जवाब नहीं मिलता हम गरीब ही रहेंगा.
गरीबी के प्रकार.
जनम से गरीब: यह वेह लोग है जो अपने साथ अपना कर्म ले कर आते हे. इनका कर्म महेनत और कोशिस से भरा होता है. यह वोह लोग है जो सायद अपने नसीब को सबसे जादा कोस ते है, इनका जीवन सिर्फ जरूरते पूरा करने में बीत जाता है. इस सब के बावजूद कई ऐसे लोग होते है जो अपने आप को अपने जनम के कर्मो से मुक्त करने में कामयाब होजाते है. यह वो लोग है जॉब सबसे जादा अपने आप में और सायद भगवान् में विश्वास रक्तेह है. यह लोग अपने जनम की कमी को अपने ज्ञान या कर्म से पूरा करते है.
ज्ञान से गरीब: यह वो लोग है जिनमे ज्ञान का आभाव होता है. इनकी गरीबी इनकी कम सिख्षा की वजह से होती है. इन्हें इनकी कम लाय्कत की वजह से ऐसे काम मिलते है जिनमे कमाई कम होती है. लेकिन ऐसे कई लोग है जो ज्ञान की कमी के बावजूद अपने जीवन मे तरकी पातेहे, ऐसे लोग अपने ज्ञान की कमी को समजते है. इनके लिए ज्ञान नाहोना सिर्फ एक वजह होती है और ये इस वजह के परे जीते है. ऐसे लोग अपने अज्ञानी होने को सबके सामने स्वीकार ते है एवम सबको इसका होने का महत्त्व भी दर्शाते है. यह कर्म में विश्वास रख्खते है.
कर्म से गरीब: यह वो लोग होते है जो जनम से मीली सम्पत्ती का महत्त्व नहीं करते. यह अपने धन को अपना हक़ समजते है और ज्ञान होने के बावजूद महन्त नहीं करते. ऐसे लोग हिंदुस्तान के हर सहर में भरमार मिलते है जो ज़िंदगी भर सर्कार के भरोसे रहते है. यह कभी खुदके दम पर कुछ नहीं पाने की इच्छा रक्कते. इनमे खुदगर्जी ना बराबर होती है और ये अपने आप को तीस-मर-खा समाज ते है. पारीवारिक धन और ज्ञान ऐसे लोगो के कम नहीं आता है और यह इनदोनो को जल्द खो देते है. इनका बचाव सिर्फ और सिर्फ इनकी कीमत कर सकती है जो इन्हें गरीब होने से बचालेती है.
गृह से गरीब: यह वो लोग होते है जो बेहिसाब दोलत और ज्ञान के बावजूद गरीब हो जाते है. इनके गृह यानीकी किस्मत इनको कामयाब नहीं होनेदेती है. ऐसे लोग कर्म के अलाव धर्म में भी विश्वास करते है और यही विश्वास इनके गृह को बदल सक्कता है. बहोत कम लोग यह कर पाते है.
हक़ से गरीब: इनलोगों में इच्हा ही नहीं होती के यह अपनी गरीबी को दूर करे. यह गरीब होना ससे अच्छा समजते है और कामयाब लोगो को सक्क की नजर से देखते है. ऐसे लोग कभी भी अपनी गरीबी दूर नहीं करसकते और न कभी यह अपने जीवन का मूल्य समजते. यह सिर्फ और सिर्फ जीवन का अपमान करते है.
हर तरह की गरीबी से लड्डा जा सक्कता है परन्तु हक़ के गरीब का कोई भल्ला नहीं कर सक्कता है. आप अपने जीवन में जब कभी किसी गरीब को देखे तो पहले यह समजने की कोसिस करे की यह गरीब क्यों है और सिर्फ उसी कमी का दान करे जिसकी उस व्यक्ती में आभाव हो. इसीसे भारत निर्माण होगा.
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